चिरौंजी के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज






परिचय
(Introduction)

चिरौंजी के पेड़ विशाल होते हैं। चिरौंजी के पेड़ महाराष्ट्र, नागपुर और मालाबार में अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। इसके पत्ते लम्बे-लंबे महुवे के पत्ते के समान मोटे होते हैं। इसकी पत्तल भी बनाई जाती है। इसकी छाया बहुत ही ठण्डी होती है। इसकी लकड़ी से कोई चीज नहीं बनती है। इसमें छोटे-छोटे फल लगते हैं। फलों के अन्दर से अरहर के समान बीज निकलते हैं। इसी को चिरौंजी कहा जाता है। चिरौंजी एक मेवा होती है। इसे विभिन्न प्रकार के पकवानों और मिठाइयों में डाला जाता है। इसका स्वाद मीठा होता है। इसका तेल भी निकलता है। यह बादाम के तेल के समान ठण्डा और लाभदायक होता है।

गुण (Property)

चिरौंजी मलस्तम्भक, चिकना, धातुवर्द्धक, कफकारक, बलवर्द्धक और वात विनाशकारी होता है। यह शरीर को मोटा और शक्तिशाली बनाता है। चिरौंजी कफ को दस्तों के द्वारा शरीर से बाहर निकाल देता है। यह चेहरे के रंग को साफ करता है। चिरौंजी का हरीरा बादाम और चीनी के साथ उपयोग करने से बहुत अधिक मात्रा में धातु की वृद्धि होती है। इसका तेल बालों में लगाने से बाल गिरना बंद हो जाते हैं।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

चिरौंजी भारी है तथा देर में हजम होती है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

रक्तातिसार (खूनी दस्त):

चिरौंजी के पेड़ की छाल को दूध में पीसकर शहद मिलाकर पीने से रक्तातिसार (खूनी दस्त) बंद हो जाता है।

पेचिश:

चिरौंजी के पेड़ की छाल को दूध में पीसकर शहद में मिलाकर पीने से पेचिश रोग में लाभ मिलता है।

खांसी:

खांसी में चिरौंजी का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से लाभ मिलता है। 

चिरौंजी पौष्टिक भी होती है। इसे पौष्टिकता की दृष्टि से बादाम के स्थान पर उपयोग करते हैं।


शीतपित्त:

चिरौजी की 50 ग्राम गिरी खाने से शीत पित्त में जल्दी आराम आता है।
चिरौंजी को दूध में पीसकर शरीर पर लेप करने से शीतपित्त ठीक होती है।

चिरौंजी और गेरू को सरसों के तेल में पीसकर मलने से पित्ती शान्त हो जाती है।


शारीरिक सौंदर्यता:

ताजे गुलाब के फूल की पंखुड़िया, 5 चिरौंजी के दाने और दूध की मलाई को पीसकर होठों पर लगा लें और सूखने के बाद धो लें। इससे होठों का रंग लाल हो जाता है और फटे हुए होंठ मुलायम हो जाते हैं।

चेहरे की फुंसियां:

चेहरे की फुंसियों पर चिरौंजी को गुलाबजल में पीसकर मालिश करने से चेहरे की फुंसियां ठीक हो जाती हैं।

रंग को निखारने के लिए:

2 चम्मच दूध में आधा चम्मच चिरौंजी को भिगोकर लेप बनाकर चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट के बाद चेहरे को धो लें। यह क्रिया लगातार 45 दिन तक करने से चेहरे का रंग निखर जाता है और चेहरे की चमक बढ़ जाती है। इसको लगाने से रूखी और सूखी त्वचा भी कोमल हो जाती है।


सौंदर्यप्रसाधन:


त्वचा के किसी भी तरह के रोग में चिरौंजी का उबटन (लेप) बनाकर लगाने से आराम आता है।
चिरौंजी के तेल को रोजाना बालों में लगाने से बाल काले हो जाते है।

For more informations like this post like us on Facebook page 👇 link given below

https://m.facebook.com/profile.php?id=105645334135568&ref=content_filter

Comments

Popular posts from this blog

What Are The Symptoms Of Fibromyalgia In Males?

चौलाई के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

चुकन्दर के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज